हमारी इस साल की ये पहेली यात्रा है, हम पिकनिक मनाने के लिए अनहोनी संहानी जा रहे थे
अनहोनी संहानी में एक कुंड है जहाँ पे गर्म पानी है , यह पे हर साल बहुत से लोग आते है ठंड में ,
7 am
सुबह जल्दी उठ के हम अपनी यात्रा में निकल गए , मेरी वाइफ ने नास्ते में खाने का कुछ सामान रख ली थी और हमने वहां पे खाना बनाने के लिए कुछ सामान रख लिए थे
8 am
हम परासिया पहिच गए, हर बार की तरह हमने यह पे चाय पी ओर अपने सफर पे निकल गए, धिप धीरे धीरे आने लगी
9:00 am
हम तामिया पहुच गए यह थोड़ी सी ठंड ज्यादा लग रही थी, क्योकि ये पहाड़ी इलाका है, यह पे हम रुक गए नास्ता करने के।लिए , हमने यह पे चाय , पोहा ओर समोसे का नाश्ता किया और साथ में मुम्पति भी खाए
अब हम फिर अपने सफर में निकल गए,
कुछ दूर जा के हम थोड़ा रुक गए और कुछ फोटोज लिये, हमारी यादो के लिए,
11:30 am
बहुत देर से चल रहे थे इसकिये हमने देलाखेरी के आगे थोड़ा रेस्ट लिए एक जगह पे रुक के यह पूरा जंगल था
और सुनसान रोड, हमे बहुत ही मजा आ रहा था, इस खिबसूरत जगह को देख के हिमसे रहा नही गया और हमने एक छोटा सा गाना सूट कर लिए मस्ती मस्ती में,
3:00 am
हम लोग अनहोनी संहानी पहिच गए,
वही पे एक स्थान में हमने अपना डेरा जमा लिया,
यहाँ पे महिलाओ के लिके अलग कुंड बनाया गया है नहाने के लिए, ओर आदमियो के लिए अलग,
इसलिए सबसे पहले।मैं नहाने गया,
पानी बहुत ही ज्यादा गर्म था इस पानी मे नहाने से बहुत से स्किन समस्या ठीक हो जाती है,
मैं उस कुंड में साइड में बैठ गया ओर पानी से नहाने लगा, वह पे बहुत से लोग नाहा रहे थे, पानी बहुत गर्म था
मेरा नहाना हो गया, मैं अपने समान के पास गया अब मैं समान के पास बैठ गया और मेरी अब मेरी वाइफ नहाने के लिए चली गई, जहा पे महिलाओ का नहाने का था,
हम दोनो ही इस पवित्र गर्म पानी से नाहा से तृप्त हो गए थे, अब नहाने के बाद हमे बहुत जोर की भूक लगने लगी,
ओर मुझसे ज्यादा मेरी वाइफ को भूक लगी, ओर अब शाम का 4 बज चुका था और हमको वापस भी होना था,
हम वह पे खाना बनाने के लिए घर से कुछ सब्जीया और चावल ले कर आये थे , मैन अपनी वाइफ को थोड़ा भूक कंट्रोल करने को कहा ओरजहा पे हमारी बाइक रखी थी वही पे एक छोटा सा चूल्हा बना लिया ,
कुछ फतरो से, जब तक मैं चूल्हा बना रहा ओर जलाने के लिए कंडे लकड़ी का इंतजाम कर रहा था, तब तक मेरी वाइफ सब्जियां काट रही थी ,हम पुलाओ बनाने जा रहे थे,
खाने बने के लिए हमे पानी भी चाइये था, तभी मैं वही पास के कुएं से पानी खिंच के ले आया ,
कुछ देर बाद हमारा पुलाओ बन गया , ओर हमारी भूक भी अब हमें जवाब दे रही थी, हमारी भूक बहुत तेज हो चुकी थी, जैसे ही पुलाओ बना ,हम दोनों ने जल्दी पुलाओ को प्लेट में लिया, ओर एक दूसरे को एक एक कोर खिला कर , हम ने खाना चालू कर दिया,
उस पुलाओ का टेस्ट हम आज तक नही भूले, इतना टेस्टी पुलाओ शायद ही कभी खाने को मिले
6:00 pm
अब हम अनहोनी संहोनी से निकल गए
6:30 pm
अब शाम धीरे धीरे रात में बदल रही थी, सूरज ढल रहा था, वो नजरा इतना अद्भुत था कि हमसे यह नही गया और हम फ़ोटो लेने के लिए
बाइक को पलटने लगे, लेकिन तभी मेरी बाइक का उनबालेंस हो गई और हम दोनों खड़ी बाइक में ही गिर गए, लेकिन भगवान की कृपा से हमे कुछ नही हुआ,
हम घर की ओर निकल चुके थे रास्ते में बहुत ज्यादा अंधेरा हो गया था ओर मैं काफी थक गया था , बाइक चलाने की हिमत नही हो रही थी, ओर थोड़ी थोड़ी नींद भी आने लगी,
तभी हम दोनों ने रास्ते मे एक दूसरे के साथ अंताकछरी खेले लगे, इसी हमारा रात का सफर भी कट गया और हमारी नींद भी भाग गई
9:40 pm
हम सकुसल अपने घर पे पहुँच चुके है
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