छठी मैया को देवसेना के नाम से भी जाना जाता है छठी मैया ब्रह्मा जी की पुत्री स्कंद कुमार कार्तिकेय की पत्नी और सूर्य देव की बहन है एक बार सूर्य देव तेज हिन हो गए और अपनी खोई हुई तेज वापस लाने के लिए ब्रह्मदेव की स्तुति करने लगे प्रकट होकर सूर्यदेव से कहा कि प्रकृति के मूल अंश से मैंने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि के दिन देवसेना को प्रकट किया उसी दिन आप छठ
महाव्रत करके देवसेना की आराधना कीजिए आपकी तेज पुनः वापस चली आएगी
सूर्यदेव ने ब्रह्मदेव के कहने पर यह व्रत किया जिससे खुश होकर छठ माता ने सूर्य को दिव्य ज्योति प्रदान हुई किया
4 दिन तक चलने वाले इस महापर्व में पहले दिन को नहाए खाए व्रत कहा जाता है
इस दिन प्रात काल में उठ कर आम के दातुन से मुंह धोया जाता है
इस दिन घर की साफ सफाई की जाती है और दिन भर निराहार रहकर शाम को कद्दू तथा चने की दाल को चावल के साथ पकाकर इसका प्रसाद बनाया जाता है
छठ व्रती लोग इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं
इस उपवास में छठ प्रति लोग नमक की जगह
पर सेंधा नमक का प्रयोग करते हैं
दूसरे दिन को खरना कहा जाता है खरना के दिन भी दिनभर निराहार रहकर शाम को गन्ना के रस या गुड में चावल और दूध का खीर शाम को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं तथा इस प्रसाद का वितरण भी करते हैं
छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रती अपने घर में साफ सफाई एवं पवित्रता के साथ आम की लकड़ी जलाकर ठेकुआ बनाते हैं
ठेकुआ एक आटे की मिठाई होती है जो कि बिस्कुट की तरह दिखती है
इसी तरीके के और प्रसाद बना कर शाम को वृद्धि छठी मैया के घाट पर जाते हैं तथा डूबते हुए सूर्य भगवान को श्रद्धा पूर्वक जल देते हैं
इस दिन व्रती बिना अन्न और जल ग्रहण किए निराहार रहते हैं अगले दिन सूर्योदय के साथ ही सूर्य और छठी मैया को कच्ची गाय के दूध में गंगाजल मिश्रित करके छठी मैया को अर्क देते हैं
तथा अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए छठी मैया और सूर्य भगवान से प्रार्थना करते हैं और गाय के कच्चे दूध का पालन करके व्रत को तोड़ते हैं
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस उपवास को करने से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम तथा जगत जननी माता सीता के शरीर का शुद्धिकरण हुआ था
साथ ही साथ श्री कृष्ण के पुत्र को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी और प्रियव्रत को छठी मैया की असीम अनुकंपा से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी
छठी मैया बड़ी दयालु है उसके भक्त सच्चे हृदय से जो कुछ भी मांगते हैं छठी मैया उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती है यूपी और बिहार के अलावा विश्व के कोने-कोने में जहां भी रहते हैं श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं जो कोई भी इस व्रत को करता है उसकी छठी मैया
सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं
साथ ही साथ सूर्यदेव भी अपनी असीम कृपा बरसाते रहते हैं
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