About Mahatma gandhi ji

हमें 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी और दोस्तों देश को आजाद कराने के लिए ना जाने कितने ही लोगों ने अपना जीवन तक निछावर कर दिया था हालांकि यहां भी आजादी के लिए लड़ने वाले खास लोग दो अलग-अलग विचारधाराओं में बैठे हुए थे, 




जिनमें से एक तरफ तो वो लोग हैं जो कि आजादी को अपनी ताकत के दम पर जीना चाहते थे तो वहीं कुछ लोग शांति पूर्वक अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आजादी हासिल करना चाहते थे और दोस्तों इन्ही लोगों में से एक थे राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी इन्हें आम तौर पर महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं और साथ ही भारतीय इतिहास के व्यक्ति हैं, जिन्होंने देश हित के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई की है और उन्हीं की तरह ही हजारों वीरों की वजह से हमारा देश 1947 में आजाद हुआ



भारत के सबसे लोकप्रिय लोगों में से महात्मा गांधी के जीवन के बारे मैं

कहानी की शुरुआत होती है 2 अक्टूबर से जब गुजरात के पोरबंदर शहर में महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और मां का नाम पुतलीबाई था हालांकि भले ही गांधीजी पोरबंदर शहर में पैदा हुए थे, लेकिन जन्म के कुछ साल बाद उनका पूरा परिवार राजकोट में रहने लगा और फिर गांधीजी के शुरुआती पढ़ाई भी वहीं से हुई थी और जो 9 साल की उम्र में पहली बार स्कूल जाने वाले गांधीजी शुरू से ही काफी शर्मीले थे



और वह बचपन से ही किताबों को अपना दोस्त मानते थे और फिर आगे चलकर आज 13 साल की उम्र में उनकी शादी उनसे 1 साल बड़ी लड़की का पुरवा से हो गई दरअसल भारत में उस समय साथिया काफी छोटी उम्र में ही हो जाया करती थी कि आगे चलकर जब गांधी जी के पिता का निधन हो गया और फिर पिता के निधन के 1 साल बाद ही शादी की पहली संतान भी हुई लेकिन दुर्भाग्य से बच्चे की मृत्यु हो गई और इस तरह से गांधी जी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा इन परिस्थितियों में भी दादी जी ने खुद को संभाला और फिर 18 सो 87 में अहमदाबाद हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद जोशी जी के गांधी जी ने नहीं चाहती थी लेकिन कैसे भी करके उन्होंने अपनी मां को मनाया और फिर चलेंगे



और फिर 1891 में पढ़ाई पूरी करके वह अपने वतन भारत वापस आ गए हालांकि विदेश में पढ़ाई करने के बावजूद भी भारत आने पर उन्हें नौकरी के लिए काफी भागा दौड़ी करनी पड़ी और फिर 1893 में दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी नाम के भारतीय कंपनी में नौकरी मिली


इस नौकरी के लिए उन्हें साउथ अफ्रीका जाना पड़ा और 200 साउथ अफ्रीका में बिताए गए साल गांधी जी के जीवन के सबसे कठिन समय में से जो कि वहां पर उन्हें भेदभाव का काफी सामना करना पड़ा कि इन्हीं भेदभाव ने उन्हें इतना सक्षम बना दिया मरने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते थे

और दोस्तों यूं तो गांधीजी को सिर्फ 1 साल के लिए यह साउथ अफ्रीका भेजा गया था लेकिन वहां रह रहे भारतीयों और आम लोगों के हक के लिए अगले 20 साल तक लड़ते रहे और इसी दौरान उन्होंने और आम लोगों के हक के लिए अगले 20 साल तक लड़ते रहे और इसी दौरान उन्होंने नटाल इंडियन कांग्रेस के स्थापना के लिए और दोस्तों अफ्रीका में रहते हुए गांधी जी ने एक निडर सिविल राइट्स एक्टिविस्ट के रूप में अपनी पहचान बना ली थी और फिर गोपाल कृष्ण गोखले क्योंकि इंडियन नेशनल कांग्रेस

एक सीनियर लीडर थे उन्होंने कहा दीजिए से भारत वापस आकर अपने देश को आजाद करवाने के लिए लोगों की मदद करने की बातें और फिर इस तरह से 1915 में शादी से भारत वापस आ गए और फिर यहां आकर उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन करके भारत की आजादी में अपना सहयोग शुरू कर दिया और दोस्तों भारत के अंदर कुछ सालों में ही महान लोगों के चहेते बन गए और फिर आके मार्ग पर चलते हुए उन्होंने भारत के लोगों में एकता के कारण बनती है उन्होंने अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को एक साथ लाने का काम किया और गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया जिसके तहत अंग्रेजी चीजों का इस्तेमाल कर दिया था और फिर जब आंदोलन काफी सफल साबित हो रहा था महात्मा गांधी को 1922 में 2 सालों के लिए जी के जेल जाने पर लोगों के अंदर और भी गुस्सा आ गया जिसकी वजह से दांडी यात्रा को भी अंजाम दिया गया लोगों की गिरफ्तारी और फिर ऐसे ही आगे भी और भी आ जाता और इस दौरान गांधी जी के द्वारा लगाई गई थी और यही गांधी जी के साथ बाकी क्रांतिकारियों ने 1947 में देश को आजाद कराने में अहम रोल अदा किया और




हमारा भारत देश की आजादी का जश्न 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी हत्या कर दी और फिर इस घटना ने ना सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में जो फैला दिया हालांकि 15 नवंबर 1949 को गांधीजी के हत्यारे नाथूराम को फांसी दे दी गई




Post a Comment

0 Comments