patalcot ke bare me

पातालकोट के बारे में :


दोस्तों पातालकोट एक बहुत ही हरी भरी घाटी है पातालकोट छिंदवाड़ा से 70 किलोमीटर की दूरी में तामिया क्षेत्र में आता है कहा जाता है कि शिवजी की पूजा करके रावण का बेटा मेघदूत इसी रास्ते से पताल लोक गया था

पातालकोट का नाम संस्कृत के शब्द से लिया गया है जिसका पताल का मतलब होता है गहराई

पातालकोट के बारे में यह भी कहा जाता है कि
18 वीं शताब्दी में यहां पर राजा भोसले का राज्य था और अभी 2020 में यहां पर आदिवासियों का डेरा है


पातालकोट में देखने लायक क्या है:


दोस्तों पातालकोट में देखने के लिए बहुत ही मनमोहक दृश्य है सबसे खास जगह तो वहां के पेड़ पौधे और वहां की जो ऊंचाई है जहां से आप देखेंगे तो नीचे आपको सभी लोग गाड़ियां या जानवर पशु सभी आपको छोटे खिलौने की तरह देखेंगे इतनी ऊंचाई से देखने पर महसूस होता है जैसे कि वह बहुत ही छोटे आकार के हैं

वहां के आश्चर्यजनक पहाड़ की बनावट उसे देखकर आपका मन हो जाएगा और इस घाटी में बहुत सारी जड़ी बूटियों का केंद्र है


पातालकोट के पौधों से हर्बल जड़ी बूटियां बनाई जाती है जो कि आपको मेडिसन में यूज होती है
पातालकोट कैसे जाएं
दोस्तों पताल कोट जाना है तो बहुत ही सरल रास्ता है पताल कोर्ट जाने के लिए आपको सबसे पहले छिंदवाड़ा पहुंचना होगा छिंदवाड़ा जिला नागपुर के महाराष्ट्र के पास में है यहां से आपको बस या ऑटो मिल जाती है

पातालकोट के बारे में हम जितना भी सोचेंगे उतना ही उसकी गहराई बढ़ती जाएगी दोस्तों यहां पर आने का अनुभव सब का बहुत ही हसीन होता है मैं भी पातालकोट गया था जब पातालकोट पहुंचा तो वहां का भव्य दृश्य देखकर मैं बहुत ही ज्यादा आनंदमई हो गया आज भी मुझे पताल कोर्ट के वह दृश्य याद आते हैं वह उची उची पहाड़िया वह बहता हुआ थोड़ा सा कहीं से पानी और वह धुआंधार धुए के बीचो बीच में लिखते हुए पहाड़ यह सब मुझे बहुत याद आते हैं हर साल यहां पर खेल महोत्सव भी होता है

खेल महोत्सव



पातालकोट के बारे में हम जितना भी कहे कम लगता है दोस्तों यहां पर हर साल खेल महोत्सव होता है जिसमें चुनौतियों से भरे प्रोग्राम होते हैं साथ ही साथ आपको बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है और जड़ी-बूटियों का खजाना ही आपको देखने को मिल जाता है और साथ ही साथ दोस्तों मेला भी पड़ता है जहां पर आपको एक से एक व्यंजनों का स्वाद लेने को मिलता है

इस खेल महोत्सव में बहुत सारे लोग भागीदार बनते हैं खेल महोत्सव को और भी अच्छा बनाते हैं यहां के लोग जो कि गोंड जाति के और आदिवासी होते हैं खेल महोत्सव में हमें बहुत सारे ऐसे ऐसे कार्यक्रम देखने को मिलते हैं जो कि हमारा मन लुभाते हैं आपको यहां पर पैराग्लाइडिंग भी देखने को मिलेगी


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